प्रशंसा को वीरता के कार्यों, की सुगंध ही समझिए | Socrates
सुंदर मुख अपनी मौन प्रशंसा, करवा लेता है।
प्रशंसा से बचें यह आपके व्यक्तित्व, की अच्छाइयों को घुन की, तरह चाट जाती है | Chankya